Shodashi - An Overview

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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।

Lots of wonderful beings have worshipped elements of Shodashi. The good sage, Sri Ramakrishna, worshiped Kali during his entire lifetime, and at its fruits, he paid out homage to Shodashi via his own wife, Sri Sarada Devi. This illustrates his greatness in looking at the divine in all beings, and especially his lifestyle associate.

ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।

Saadi mantras tend to be more accessible, used for basic worship and to invoke the presence from the deity in daily life.

पद्मालयां पद्महस्तां पद्मसम्भवसेविताम् ।

An early morning tub is taken into account necessary, followed by adorning clean clothing. The puja region is sanctified and decorated with bouquets and rangoli, developing a sacred Place for worship.

षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या

लक्षं जस्वापि यस्या मनुवरमणिमासिद्धिमन्तो महान्तः

दृश्या स्वान्ते सुधीभिर्दरदलितमहापद्मकोशेन तुल्ये ।

श्रीं‍मन्त्रार्थस्वरूपा श्रितजनदुरितध्वान्तहन्त्री शरण्या

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥

The philosophical dimensions of Tripura Sundari prolong over and above her Bodily characteristics. She signifies the transformative electricity of beauty, which could guide the devotee through the darkness of ignorance to The sunshine of knowledge and enlightenment.

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके check here बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

यदक्षरशशिज्योत्स्नामण्डितं भुवनत्रयम् ।

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